People’s Union for Democratic Rights

A civil liberties and democratic rights organisation based in Delhi, India

भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अपने 2014 के चुनाव पत्र में गौमांस पर प्रतिबंध और गौसंरक्षण को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। इसी को अमल में लाते हुएमार्च 2015 से महाराष्ट्र व हरियाणा में गौहत्या प्रतिबंधी कानूनों को पारित करने और उनमें संशोधन लाने का सिलसिला शुरू हुआ। तब से गौमांस और गौहत्या पर प्रतिबंध का विषय लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है। पर इन सब के बीच कुछ सवाल दब कर रह जाते हैं – जैसे कि क्या गौमांस का बहिष्कार सचमुच में एक सर्वसम्मत हिन्दू मान्यता हैइस कानून के संवैधानिक पहलू और आर्थिक व सामाजिक परिणाम क्या हैंये और कुछ अन्य मुद्दे समाज के अन्य तबकों ने उठाए भी हैं। इन प्रतिबंधों के लागू किए जाने के पश्चात कुछ ऐसी घटनाएँ भी घटी हैं जो ऐसे कानूनों के दुष्परिणामों की ओर संकेत करती हैं। लेकिन ये आवाज़ें राजनैतिक अफरातफरी में कहीं खो गयी हैं। पी.यू.डी.आर. की यह रिपोर्ट गौसंरक्षण और गौमांस पर लगे प्रतिबंधों से जुड़े जटिल सवालों से जूझने की दिशा में एक छोटा कदम है।

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गौमांस पर प्रतिबंध और मौलिक अधिकारों का हनन – कुछ आयाम

 

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