झारखण्ड के हमारे साथी कार्यकर्ता शशि भूषण पाठक के निधन पर पीयूडीआर खेद व्यक्त करता है | 25 फरवरी 2017 की सुबह खबर मिली की साथी शशि भूषण पाठक वेल्लोर के क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज में चल बसे | वे लम्बे समय से डायबिटीज और गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे |
कामरेड पाठक बिहार में सत्तर के दशक के मध्य से बतौर राजनैतिक कार्यकर्ता सक्रिय रहे | झारखण्ड के अलग राज्य के रूप में गठन होने से भी पहले से वे पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) में कार्यरत थे | हाल में सन 2014 में वे कोआर्डिनेशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गनाईजेशन (सीडीआरओ) से जुड़े झारखण्ड कमिटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (जेसीडीआर) के गठन में भी शामिल थे |
कईं संयुक्त फैक्ट फाइंडिंग और प्रोग्रामों में पीयूडीआर को कामरेड पाठक के साथ काम करने का मौक़ा मिला | ऐसी कईं गतिविधियों में उनका अहम योगदान रहा | उदाहरण के लिए, न सिर्फ वे फैक्ट फाइंडिंग के आयोजन में मदद करते थे साथ ही गाँव पहुँचने तक अपनी कहानियों, कविताओं और गीतों से सफ़र को रोचक भी बनाते थे | अपनी बीमारी के बावजूद भी उन्होंने हाल में हज़ारिबाघ में एनटीपीसी द्वारा किये जा रहे भूमि अधिग्रहण और उससे जुड़े 4 आदिवासियों की फर्ज़ी मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में सीडीआरओ फैक्ट-फाइंडिंग में भाग लिया |
कामरेड पाठक को झारखण्ड में जन, जंगल, ज़मीन से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने, झारखण्ड में चल रहे सशस्त्र संघर्ष के चलते हो रहे राजकीय दमन के खिलाफ आवाज़ उठाने, जनवादी अधिकारों और आदिवासियों के हकों के लिए लड़ने और दशकों तक राज्य में संघर्ष करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा | उनकी कमी पीयूडीआर और अन्य जनवादी संगठनों को महसूस होगी | कामरेड पाठक को सलाम !
अनुष्का सिंह, सीजो जॉय
सचिव, पीयूडीआर