पीयूडीआर दिल्ली पुलिस द्वारा ‘ओक्युपाई युजीसी’ के प्रदर्शनकारियों पर लगातार किये जा रहे हमलों की पुरज़ोर निंदा करता है | 9 दिसंबर 2015 को दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर ‘ओक्युपाई युजीसी’ प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों पर लाठी-चार्ज किया, आंसू गैस व पानी के गोले बरसाए और कई घन्टों तक थाने में बंद करके रखा | इससे पहले भी अक्टूबर में तीन मौकों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर इसी प्रकार से हमला किया था | उस समय भी पुलिस के इस बर्बरतापूर्ण व्यवहार की पीयूडीआर ने निंदा की थी |
अक्टूबर से विद्यार्थी विरोध कर रहे हैं | वे मांग कर रहे हैं कि (1) नॉन-नेट फेलोशिप को न सिर्फ वापस सुचारू किया जाए बल्कि उसे बढ़ाया भी जाए, (2) भारत विश्व व्यापार संगठन के साथ चल रही वार्ता में भाग न ले, (3) देश के बजट में शिक्षा के खर्च को 10% तक बढ़ाया जाए | 9 दिसंबर को देश के अलग-अलग राज्यों और विश्वविद्यालयों के लगभग 600-700 विद्यार्थी और कार्यकर्त्ता ‘ओक्युपाई यूजीसी’ के समर्थन में दिल्ली के यूजीसी के दफ्तर के बाहर आईटीओ मेट्रो स्टेशन पर जुटे थे | दोपहर लगभग 3.30 बजे सभी लोग मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शाश्त्री भवन की ओर पैदल बढ़ने लगे | जैसे ही वे फ़िरोज़ शाह मार्ग से अशोका रोड के पास पहुंचे तभी उन पर लगभग 100 से 150 की संख्या की फ़ोर्स, जिसमें दिल्ली पुलिस के अलावा सीआरपीएफ़ के सिपाही भी थे, ने हमला बोल दिया | उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और पानी के गोले बरसाने शुरू कर दिए, लोगों को बुरी तरह पीटा और उन पर लाठियां बरसाई | यह सिलसिला कम से कम 45 मिनट तक चला | इस प्रकरण में कई लोग बुरी तरह घायल हो गए जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं | कम से कम 10 से 12 लोगों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाना पड़ा | इन में से कुछ पंजाब, हरियाणा, मुंबई और अन्य दिल्ली के हैं | एक को इतनी बुरी तरह पीटा गया की सात टाँके लगाने पड़े | एक की हाथ की हड्डी टूट गई | आंसू गैस के कारण कईयों को सांस लेने में परेशानी हुई | सभी प्रदर्शनकारियों को पुलिस की गाड़ियों में भर कर पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले जाया गया और वहाँ देर शाम तक रोक कर रखा गया | गाड़ियों में ले जाते समय भी उनकी पिटाई की गई | देर रात तक कम से कम 40 से 50 लोग घायल हुए साथियों के एम्एलसी के परिणामों के लिए अस्पताल के बाहर इंतज़ार करते रहे | पुलिस को जब एम्एलसी के आधार पर मारपीट के खिलाफ शिकायत दर्ज़ करने को कहा गया तो उन्होंने पहले तो साफ़ मना कर दिया | फिर यह कहकर ही शिकायत ली कि अगर एफआईआर के लिए ज़्यादा ज़ोर दिया गया तो पुलिस भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर करेगी |
यह बेहद अफ़सोस की बात है कि सरकार द्वारा इस प्रकार विद्यार्थियों को अपनी जायज़ मांगे रखने से रोका जा रहा है | न केवल उन्हें अनसुना किया जा रहा है बल्कि लगातार उन्हें पुलिस द्वारा मार-पीट कर चुप कराने का प्रयास भी किया जा रहा है | पीयूडीआर विद्यार्थियों के एक सहज से आन्दोलन पर सरकार और पुलिस के इस दमनकारी रुख की कड़ी निंदा करता है और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग करता है | पीयूडीआर घायल प्रदर्शनकारियों को फौरी राहत राशि की मांग भी करता है|
शर्मिला पुरकायस्थ और मेघा बहल
(सचिव)