People’s Union for Democratic Rights

A civil liberties and democratic rights organisation based in Delhi, India

पीयूडीआर मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में पुलिस द्वारा मज़दूरों पर झूठे मुकदमे करने और लगातार उनको विरोध प्रदर्शन करने से रोकने के प्रयास की निंदा करता है| 26 सितम्बर 2015 को मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड की मानेसर फैक्ट्री के गेट पर विरोध कर रहे अस्थायी मज़दूरों पर पुलिस ने बुरी तरह लाठी चार्ज कियाउसी दिन  मारुति सुज़ुकी के 2 मज़दूरोंखुशीराम और जितेंदरको मानेसर थाने में ले जाकर पुलिस ने नंगा करके बुरी तरह उनकी पिटाई कीयातनाएं दीखुशीराम के गुप्तांगों में डंडा घुसायाउनको धमकाया और उन पर कंपनी मैनेजमेंट की शिकायत के आधार पर धारा 147/149/341/109/506 भारतीय दण्ड संहिता के तहत मुकदमा नंबर 603/2015 (थाना मानेसर,जिला गुडगाँवदर्ज़ कर दियाखुशीराम और जितेंदर को 2012 की घटना के बाद कंपनी से बर्खास्त कर दिया गया था।उसके बाद संघर्ष को जारी रखने और गिरफ्तार हुए मजदूरों की रिहाई के लिए जो समिति मजदूरों ने बनाई थी उसमें ये दोनों सक्रिय थे। वे 26 सितम्बर को अस्थायी मज़दूरों से बात करने वहाँ पहुंचे थेपी.यू.डी.आर इस बात की कड़ी निंदा करता है कि पुलिस और मैनेजमेंट मिलकर मज़दूरों को किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करने से रोक रहे हैं और उन पर झूठे मुक़दमे लगाकर अलगअलग तरीकों से दबाव बना रहे हैं |

22 सितम्बर 2015 को मारुती सुज़ुकी मैनेजमेंट ने स्थायी मज़दूरों के साथ एक समझौता किया जिसके तहत स्थायी मज़दूरों के वेतन में अगले तीन सालों में कुल 16,800 रूपए की बढ़त देने का वादा किया गयाअस्थायी मज़दूरों के लिए इस समझौते में कोई राहत न मिलने के कारण उन्होंने 23 सितम्बर से विरोध जताने का फैसला किया | मारुति कंपनी में अस्थायी मज़दूरों को केवल 7 महीने के लिए काम पर रखा जाता है | उन्हें 8 घंटे 45 मिनट के काम के लगभग 12,000 रूपए दिए जाते हैं जिसमें आधे घंटे का एक लंच ब्रेक और 7.30 मिनटों के दो चाय ब्रेक मिलते हैं | ओवरटाइम सिंगल रेट पर ही दिया जाता है | इनको ज़्यादातर अन्य राज्यों जैसे पंजाबराजस्थानउत्तर प्रदेशओडिशा,आन्ध्र प्रदेश आदि से भर्ती किया जाता है | इस विरोध प्रदर्शन के ज़रिये वे अपने लिए वेतन में बढ़तकम से कम 2 साल तक कामऔर अस्थायी मज़दूरों को स्थायी बनाने की एक प्रणाली के गठन की मांग कर रहे थे |

23, 24 और 25 सितम्बर को अपनीअपनी शिफ्ट में जाने से पहले अस्थायी मज़दूरों ने कंपनी गेट पर इकठ्ठा होकर 15 मिनट तक विरोध किया और फिर काम पर लौट गए | इसी क्रम में जब 26 सितम्बर की सुबह 6.30 बजे ए शिफ्ट के मज़दूर गेट पर इकठ्ठा हुए तो आसपास के गाँवों के सरपंच और कंपनी के बाउंसर वहाँ आकर मज़दूरों को विरोध न करने की सलाह देने लगे | जब मज़दूरों ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने मजदूरों को धमकाना शुरू कर दिया | इस पूरे दौरान कंपनी की तरफ से केवल उनके विजिलेंस अफसर’ ही गेट पर दिखाई दिएइसके बाद वहाँ मानेसर थाने के एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मी आ गए और मज़दूरों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी | इन सब के बीच खुशीराम और जितेन्दर को थाने ले जाकरनंगा कर के पीटा गया और यातनाएं दी गईं | उनके फ़ोन उनसे छीन लिए गए | मानेसर के एसीपी राहुल देव और थाने के एसएचओ ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने मज़दूरों को संगठित करने की कोशिश की तो उन्हें फिर से पीटा जाएगा और उन पर देशद्रोह’ का मुकदमा भी थोप दिया जाएगा | खुशीराम और जितेंदर अभी अंतरिम ज़मानत पर बाहर हैं और ज़मानत के लिए अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को है | ए शिफ्ट के अस्थायी मज़दूरजिन पर लाठीचार्ज हुआ थावापस काम पर नहीं लौटे हैं |

गौर करने की बात है कि इस इलाके में जब भी मज़दूरों ने संगठित होकर अपने हकों के लिए कोई कार्यक्रम या विरोध करने की कोशिश की है तो पुलिस और प्रशासन ने कंपनी मैनेजमेंट की तरफदारी करते हुए मज़दूरों को रोकने और डराने का पूरा प्रयास किया है | साथ ही कंपनी ने आसपास के गाँवो के सरपंचोंबुज़ुर्गों और बाउंसरों की मदद से भी मज़दूरों पर दबाव बनाने की कोशिश की है | इस इलाके में इस प्रकार से दबाव बनाने की योजना के और भी उदाहरण हैं | 2014 में बैक्सटर कंपनी के मज़दूरों के संघर्ष के दौरान एक मज़दूर नेता अशोक की कंपनी के गुंडों ने पिटाई की थी | अशोक ने अपना मेडिकल करवाया था और थाने में शिकायत भी दर्ज़ की थी पर आज तक कोई प्राथिमिकी दर्ज़ नहीं की गई है | उनको कंपनी से निकाल दिया था | इसके अलावा 2015 में जब  मारुति सुज़ुकी के 2012 से बर्खास्त मज़दूरों ने 18 जुलाई को एक कार्यक्रम करने की कोशिश की थी तो कंपनी ने कोर्ट से अनुमति ली थी कि मज़दूर कंपनी के गेट के सामने इकठ्ठा नहीं होंगे | फिर गुड़गाँव के कमला नेहरु पार्क में कार्यक्रम करने के लिए अनुमति देते समय पुलिस ने शर्त रखी थी कि 2012 के बर्खास्त मज़दूर इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे | साथ ही आयोजकों से हलफनामा लिया कि कार्यक्रम के दौरान किसी भी घटना की ज़िम्मेदारी उनकी होगी |

हमेशा की तरह इस बार भी मैनेजमेंट मज़दूरों से सीधा उनकी मांगों के बारे में बात न करकेउन पर पुलिस और आसपास के गाँव वालों की मदद से दबाव बनाने की कोशिश कर रही है | पी.यू.डी.आर झूठे मुकदमों और अन्य तरीकों से चल रहे मज़दूरों को किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक विरोध से रोकने के प्रयास की निंदा करता है|

शर्मिला पुरकायस्थ और मेघा बहल

सचिवपीयूडीआर

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