5 मई 2017 को शब्बीरपुर गाँव, जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश, में राजपूतों द्वारा दलितों पर हमले की एक घटना हुई। इस हिंसा के दौरान एक राजपूत युवक की मृत्यु हो गई थी, 13 दलित लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, 40 दलित घरों को जला दिया गया था व दलितों की कुछ दुकानों को लूटा और जलाया गया था। मीडिया ने इस हिंसक घटना को राजपूतों और दलितों के बीच हुई हिंसा-प्रतिहिंसा के तौर पर रिपोर्ट किया।
पी.यू.डी.आर. (पीपल्स यूनियन फॉर डैमोक्रैटिक राइट्स) की एक टीम ने सहारनपुर जिले और शब्बीरपुर गाँव का दौरा किया। टीम ने राजपूत समुदाय के सदस्यों, दलितों, गाँव के पटवारी नाथी राम, पुलिस कर्मचारियों, गाँव में तैनात पीएससी के सिपाहियों, स्थानीय राजनेताओं जिनमें समाजवादी पार्टी से दियोबंद विधानसभा के भूतपूर्व विधायक, माविया अली शामिल थे (शब्बीरपुर गाँव दियोबंद विधानसभा में आता है) और कुछ पत्रकारों से बात की। टीम के दौरे के दौरान जहाँ एक तरफ गाँव की दलित बस्ती क्षत्तिग्रस्त दिखी और जहाँ सिर्फ कुछ औरतें और बुढ़े पुरूष मौजूद थे, वहीं दूसरी ओर राजपूत बस्ती सामान्य दिखी। वहाँ जो कुछ देखा, सुना और समझा उसे इस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है। रिपोर्ट मुख्यतः हिंसा की घटना की परिस्थिति, परिणामों व प्रशासन की भूमिका का विश्लेषण करती है। यह रिपोर्ट पी.यू.डी.आर. की जाँच और अन्य स्रोतों से हासिल जानकारी पर आधारित है। यह रिपोर्ट अंग्रेजी में भी उपलब्ध है |
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