भारत सरकार ने एक नए भारतीय जंगल अधिनियम का मसौदा तैयार किया है जो जल्द ही संसद में कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा. साकार कहती है की नए कानून का उद्देश्य तेजी से काट रहे जंगल का विनाश रोकना है. लेकिन, प्रस्तावित कानून का हमारे देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण , जनवादी मूल्यों तथा जंगल में और उसके इर्द गिर्द रहने वाली गरीब जनता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। पिछली शताब्दी से शासन करनेवाली सरकारें जंगल के बारे में अपनी जो नीतियाँ तय कर रहीं हैं , उसी के सन्दर्भ में इस मसौदे का अध्ययन करना चाहिए। पीपुल्स यूनियन फॉर डैमोक्रेटिक राइट्स इस मसौदे के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए यहां इसकी विस्तृत आलोचना पेश करती है और देश के जनवादी व्यक्तियों , संस्थाओं और संगठनों से अपील करती है कि वे इस मसौदे को वापस लेने के लिए सरकार से मांग करें।
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